Posts Tagged ‘Vasundhara’

आज के कुछ साल बाद हम बडे फख्र के साथ बताएंगे कि हम गवाह है उस दौर के जब कैसे जनता ने सवा सौ साल पुरानी पार्टी को जड से उखाड फेंका था,  वो भी एक दो नहीं पूरे चार राज्यों से, हम गवाह होगे कि कैसे एक आम सरकारी कारीन्दे ने भ्रष्ट सरकार को चुनौती दी और अपने समर्पण एवं जनता के सहयोग से खुद सरकार बन बैठा। हम गवाह होंगे कैसे अपनी परिभाषा खोते लोकतन्त्र को फिर से आम आदमी ने जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन बना दिया।

बेशक कुछ लोग केजरीवाल की इस अप्रत्याशित सफलता को पानी का बुलबुला बता रहे हो मगर फिर भी ये एक शुभ संकेत है कि देश की जनता का भरोसा अब भी लोकतन्त्र पर ही है, वो किसी मिस्र या सीरिया की तरह भावावेशी होकर सत्ता हाथ में लेने की पक्षधर नहीं बनी है। अरविन्द ने जनता के आक्रोश को बेहद रचनात्मक एवं सकारात्मक प्रयोग किया है, और इसके लिए उन्हे साधुवाद… वैसे साधुवाद तो भाजपा को भी बनता है जिन्होने भले राजस्थान में बीते पांच सालों में बेहतर विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई हो, जो बेशक पिछले पांच सालों में राज्य की जनता को गहलोत के भरोसे छोड कर बाहर विचरण करने चली गई हो मगर उनके राष्ट्रीय नेतृत्व और जमकर चली मोदी लहर पर सवार होकर तीन राज्यों में सरकार बनाने का मौका हासिल किया है।

इस धमाकेदार शुरूआत के साथ ही राजस्थान और दिल्ली दोनो राज्यों की सरकारों के सामने एक बडा यक्ष प्रश्न उन वादों को पूरा करना है जो उन्होने अपने राज्य की जनता से किया है। पहले बात दिल्ली की.. वहां केजरीवाल ने जो वादे किए मसलन प्रतिदिन ७०० लीटर मुफ्त पानी, आधी दरो पर बिजली, १५ दिन में लोकपाल आदि इत्यादि। मुझे लगता है कि ये वादे पूरा करना किसी भी ईमानदार और समर्पित सरकार के लिए कोई बडा काम नहीं है, देखिए पहला किसी भी लोककल्याणकारी सरकार की ये पहली शर्त है कि वो अपनी जनता को पीने का पानी मुहैया करवाए, क्योंकि हर आदमी बिसलरी खरीदने में सक्षम नहीं हो कसता, दूसरा बिजली की दरे, तो हमें पहले ये जानना होगा कि दिल्ली की बिजली सप्लाई वर्तमान में रिलायन्स के हाथों में है और हम समझ सकते है कि कोई भी निजी कम्पनी अपने काम में कितनी ईमानदार हो सकती है। अभी कुछ दिन पहले उत्तरप्रदेश बिजली विभाग के अधिकारीयों ने बाकायदा मीडिया के सामने अपना प्रजेन्टेशन देकर बताया था कि कैसे ये निजी कम्पनियां झूठे आंकडो  की मदद से अपना घाटा बढाती है और बिजली की दरों में वृद्धि करती जाती है, यदि यही वितरण सरकार अपने हाथों में ले तो बढे आराम से ४.५० रूपये प्रति यूनिट की दर से सप्लाई दी जा सकती है जो केजरीवाल के वादे के मुताबिक वर्तमान दर की लगभग आधी है। अब बात जनलोकपाल की, तो यूपीए सरकार अपनी ओर से ये विधेयक पास कर के राष्ट्रपति के पास पेश कर चुकी है, उनके द्वारा विधेयक पर हस्ताक्षर करने के बाद बने कानून के अनुसार यूं भी राज्यों को साल भर के भीतर अपने अपने राज्यों में लोकपाल बनाना ही है, तो यहां भी कोई बडी परेशानी केजरीवाल को नहीं दिखाई दे रही है।

मगर राजस्थान सरकार परेशानी में नजर आ रही है, जहां दिल्ली में केजरीवाल को अपने वादे पूरे कर जनती के दरबार में अपनी क्षमता सिद्ध करनी है वहीं वसुन्धरा के सामने जनती से किए वादे पूरे कर अपनी पार्टी को लोकसभा में अधिकतम सीटे जिताने का प्रेशर है। तो अब बात वसुन्धरा के वादों की… ज्यादा कुछ नहीं बस केवल दो तीन वादे जो मुझे असंभव तो नहीं मगर काफी कठिन लग रहे है। मसलन पहले पहल बेरोजगारों को पाच साल में १५ लाख रोजगार मुहैया करवाना, माने औसतन वर्ष में ३ लाख मुहैया करवाना। जबकि कार्मिक विभाग की माने तो राज्य में अधिकतम डेढ से दो लाख लोगो को ही रोजगार मुहैया करवा जा सकता है। अब अगर इसमें रिफाईनरी और मैट्रो से उत्पन्न होने वाले रोजगारों को भी शामिल कर दे तो भी आंकडा ३ लाख से उपर नहीं जा पायेगा जो वादे के मुताबिक केवल साल भर का कोटा होगा। और अबर वसुन्धरा अपना ये वादा पूरा नहीं कर पाई तो बेरोजगार युवाओं के साथ किया ये जुबानी छल उन्हे काफी भारी पडेगा। इसी प्रकार उन्होने टेट खतम करने का वादा भी इन्ही युवाओं के किया था, जो संभवतया किसी भी राज्य के लिए आसान काम नहीं है। इसके अलावा २४ घन्टे बिजली, किसानों को रियायते जाने क्या क्या.. फरहिस्त काफी लम्बी है।

अब देखना ये है कि ये दोनो ही रण बांकुरे क्या गजब ढाते है, दुआ है कि दोनो ही जनता से किए अपने वादे पूरे कर पाए……  आमीन!!!